Mushroom Farming: मशरूम उगाने के ये 3 तरीके जान लें किसान, होगी ताबड़तोड़ कमाई, जानिए पूरी डीटेल
Mushroom Farming: दुनियाभर में मशरूम की लगभग 14000 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है, जिनमें से 3000 खाने योग्य और 300 के लगभग औषधीय गुणों से युक्त हैं.
Mushroom Farming: मशरूम एक बागवानी नकदी फसल है. देश में मशरूम की लगातार मांग बढ़ रही है. मशरूम की मांग बढ़ने से किसान इसकी खेती की तरफ आकर्षिक हुए हैं. इसकी खेती पूरे साल की जा सकती है. मशरूम (Mushroom) ने देश के कई किसानों की किस्मत बदली है. भारत में मशरूम की पांच किस्मों- सफेद बटन मशरूम, ढिंगरी मशरूम, पुआल मशरूम, दूधिया मशरूम और शिटाके मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) की जाती है. वैसे तो मशरूम उगाने की कई तकनीक हैं, लेकिन देश में तीन तकनीक प्रचलित हैं.
मशरूम (Mushroom) एक विशेष प्रकार के कवक हैं. इसका इस्तेमाल कई प्रकार से जैसे- ताजा व सुखाकर किया जाता है. दुनियाभर में मशरूम की लगभग 14000 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है, जिनमें से 3000 खाने योग्य और 300 के लगभग औषधीय गुणों से युक्त हैं. पोषण और औषधीय महत्व के साथ-साथ आय का बेहतरीन स्रोत होने के कारण, मशरूम की 100 से अधिक देशों में खेती की जा रही है.
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मशरूम उगाने की तकनीक
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मशरूम उगाने की तीन तकनीक हमारे देश में प्रचलित हैं-
- शैल्फ तकनीक
- ट्रे तकनीक
- पॉलीथीन बैग तकनीक
1. शेल्फ तकनीक-
इस तकनीक में मजबूत लकड़ी के एक से डेढ़ इंच मोटे तख्ते लेकर शैल्फ बनाया जाता है. इनको लोहे की कोणों वाली फ्रेमों पर जोड़कर रखें. फट्टे अच्छी लकड़ी के होने जरूरी हैं ताकि वे खाद का बोझ सहन कर सकें. शैल्फ की चौड़ाई 3 फुट से ज्यादा न हो. दो शैल्फों के बीच कम से कम डेढ़ फुट का अंतर जरूरी है. शैल्फों को एक दूसरे के ऊपर पांचवीं मंजिल तक ले जाया जा सकता है.
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2. पॉलीथीन बैग तकनीक-
यह तकनीक अपने देश में काफी प्रचलित है. पॉलीथीन बैग प्रणाली अब देश के मैदानी क्षेत्रों के मशरूम फार्मों पर भी अपनाई जाने लगी है. इस तकनीक से मशरूम उगाने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती. इसके लिए 25 इंच लंबाई और 23 इंच चौड़ाई वाले 200 गेज माप के पॉलीथीन के लिफाफों की ऊंचाई 14 से 15 इंच और मशरूम पैदा करने का 15 से 16 इंच का व्यास रह जाता है.
पॉलीथीन बैगों को कमरे में लगाने के लिए एक के ऊपर दूसरी शैल्फ बनानी जरूरी है, क्योंकि अगर इन बैगों जमीन पर ही रख दिया जाए तो मशरूम को पैदा करने का एरिया घट जाता है. पॉलीथीन बैग को शैल्फ पर रखा जाता है, ताकि उसी एरिया पर अधिक बैग रखे जा सकें. इसके लिए शैल्फ का इस्तेमाल किया जाता है.
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3. ट्रे तकनीक-
लकड़ी के ट्रे या पेटी बनानी चाहिए ताकि इसे आसानी से एक कमरे से दूसरे कमरे में और एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सके. सबसे सुविधाजनक साइज 1/2 वर्गमीटर होता है, जो कि 6 इंच गहरी होनी चाहिए. इस साइज की पेटियों में 28 से 32 किग्रा खाद आसानी से आ जाती है.
चैक बोर्ड तकनीक में कमरे में कम ट्रे लगाई जा सकती है, क्योंकि थोड़ी पेटियों के लिए कमरे की ज्यादा जगह की जरूरत पड़ेगी. आधा वर्गमीटर की 400 पेटियां एक कमरे में लगाई जा सकती है.
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05:12 PM IST